पेटेंट का खर्च का निकालने के ७ चरण
हर शोधकर्ता या उद्योजक को ये सवाल पड़ता है की आखिर भारत और अन्य देशों में पेटेंट पाने के लिए कितना खर्च होगा? पेटेंट का खर्च (Rs ६,००० से ४५,००० /-), जवाब कोई एक आंकड़ा नहीं है, क्योंकि इसमें पहले निचे दिए मुद्दे तय होना महत्वपूर्ण है। हम इसमें आपके कागज, छपाई इ. छोटे खर्च नहीं शामिल करेंगे।Read in English here.
- पेटेंट एप्लीकेशन कौन कर रहा है ? -एप्लिकेंट कौन है ?
- पेटेंट दस्तावेज कौन लिखेगा ? (सबसे महत्वपूर्ण और ९०% से ज्यादा खर्च)
- सरकारी पेटेंट कार्यालय में एप्लीकेशन कैसे जमा करेंगे?
- पेटेंट एप्लीकेशन जमा करने से, उस पर अधिकार प्राप्त होने तक का सरकारी शुल्क ?
- पेटेंट एप्लीकेशन में कितने क्लैम्स (दावे) और पन्ने है ?
- एप्लीकेशन प्रक्रिया सामान्य या अधिक गतिमान पद्धति से हो ?
- पेटेंट अधिकार प्राप्त होने के बाद का शुल्क
अब हम इन मुद्दों को विस्तार से जानेंगे और कितना खर्च होने वाला है इसका अंदाज़ा लगा लेंगे।
चरण १. पेटेंट एप्लीकेशन कौन कर रहा है ? – एप्लिकेंट कौन है?
इसका मतलब है की, पेटेंट का अधिकार किस को मिलेगा ? और ये शोधकर्ताओं से अलग हो सकता है। पेटेंट कार्यालय के अलग अलग फ़ॉर्म शुल्क जानने के लिए इन मे से एक को चुनना अनिवार्य है।एप्लिकेंट किस प्रकार का है, उस पर शुल्क तय किया जाता है।आपको निचले में से एक विकल्प लागू होगा, उसे ध्यान में रखे और आगे पढ़ें। पेटेंट का खर्च यंहा से शुरू है और आपके इस चुने प्रकार से काफी ज्यादा फर्क पड़ता है।
- सामान्य व्यक्ति(यां)
- स्टार्टअप कंपनी
- लघु उद्योग
- अन्य कोई (अन्य उद्योग)
चरण २. पेटेंट दस्तावेज कौन लिखेगा ? – पेटेंट का खर्च (अप्रत्यक्ष)
पेटेंट एक क़ानूनी और तकनिकी दस्तावेज होता है। इसमें आपके शोध को इस तरह से लिखना है की, आपको इससे ज्यादा से ज्यादा अधिकार प्राप्त हो सके।इसमें दो खर्च के दो घटक है।
नयेपन के लिए सर्च
पेटेंट को अच्छी तरह से लिखने के लिए, पहले उस आविष्कार को और किसी ने पहले ही पेटेंट, या कहीं पर उसका उल्लेख किया है क्या ? ये देखना जरूरी होता है। जैसे की किताबें, अख़बार, पिछले प्रकाशित पेटेंट, इंटरनेट पर प्रकाशित लेख, वैज्ञानिक पत्रिकाएं, विडिओ इत्यादि में आपका आविष्कार नहीं मिलना चाहिए। इसे कहते है पेटेंट सर्च (ढूंढना)।आपका आविष्कार बिलकुल ही नया होना चाहिए। ये सर्च या ढूंढने की प्रक्रिया इण्टरनेंट पर भी की जा सकती है। इसमें ज्यादा वक्त लगता है।
- आप खुद सर्च करेंगे – Rs 0 /-
- प्रोफेशनल या पेटेंट एजेंट से सर्च – Rs ४,०००/- से Rs १५,०००/-
पेटेंट का मसौदा (ड्राफ्टिंग)
मसौदे में आपको अपने नए शोधकार्य को पेटेंट कार्यालय के अपेक्षित प्रारूप में लिखना पड़ता है। इसमें पेटेंट का शीर्षक, नए शोध का विषय, पुराने वाले में क्या कमियां थी ?, आपके आविष्कार में नया क्या है ?, आविष्कार का उपयोग करने के तरीकें, आविष्कार के चित्र (ड्रॉइंग्स), आपके अधिकार के दावें इत्यादि मुद्दों को विस्तार से लिखा जाता है । जाहिर है, इस को लिखने वाले को पेटेंट की नियमों की जानकारी होना जरूरी है और अविष्कार को भी अच्छी तरह से समझना चाहीये।ये कठिन काम होता है। ये आप खुद भी लिख सकते है, इसके लिए आपको थोड़ा प्रयास करना पड़ेगा। अगर आप नहीं कर सकते, तो आपको पेटेंट एजेंट इस में मदद कर देंगे, उनका शुल्क आपको अदा करना होगा।
- आप खुद मसौदा लिखेंंगे – Rs 0 /-
- पेटेंट एजेंट के साथ मिलकर – Rs ७,००० /- से Rs ३०,०००
चरण ३. सरकारी पेटेंट कार्यालय में एप्लीकेशन कैसे जमा करेंगे?
आप पेटेंट एप्लीकेशन और मसौदे को पेटेंट कार्यालय में दो तरीके से जमा कर सकते है, ऑफलाइन या ऑनलाइन (इंटरनेट)।
ऑफलाइन के भी दो तरीके है; एक है ,आप खुद पेटेंट कार्यालय में जाकर एप्लीकेशन जमा करेंगे, और दूसरा है, आप अपने पुरे एप्लीकेशन को स्पीड पोस्ट के माध्यम से पेटेंट कार्यालय तक भेजेंगे। ऑफलाइन एप्लीकेशन में आपको प्रिंटिंग और पोस्ट टिकट्स या फिर पेटेंट कार्यालय में आने जाने खर्च होगा।
ऑनलाइन एप्लीकेशन खुद ही करने के लिए आपके पास डिजिटल सिग्नेचर (क्लास-३) होना जरुरी है।यदि आप पेटेंट एप्लीकेशन कोई एजेंट के जरिये करेंगे, तो वो उसकी डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग करता है, और आपको डिजिटल सिग्नेचर नहीं निकालनी पड़ेगी। ये डिजिटल सिग्नेचर आपको पेटेंट एप्लीकेशन पर आपके कंप्यूटर से ही दस्तख़त करने की सुविधा देती है। ये डिजिटल सिग्नेचर आपको उन्हें बेचने वाले कंपनीयों से खरीदना होगा। उसके लिए रु. २,००० /- से अधिक खर्च होता है और उसे हर साल नवीकरण की जरुरत होती है।
इस चरण को फिर से शुल्क के साथ लिखते है –
- ऑफलाइन एप्लीकेशन
- खुद जाके पेटेंट कार्यालय में – Rs 0 /-
- स्पीड पोस्ट के जरिये – Rs ४० /- से अधिक
- ऑनलाइन एप्लीकेशन (इंटरनेट)
- आप खुद करेंगे – Rs. २,००० /- से अधिक हर साल
- पेटेंट एजेंट के द्वारा – Rs २,००० से कम – ये शुल्क आप मिल के तय कर सकते है।
चरण ४. पेटेंट एप्लीकेशन जमा करने से, उस पर अधिकार प्राप्त होने तक का सरकारी शुल्क ? पेटेंट का खर्च (प्रत्यक्ष )
आप पेटेंट एप्लीकेशन ऑफलाइन या ऑनलाइन जमा कर सकते है लेकिन आपको पेटेंट कार्यालय द्वारा जारी शुल्क देना ही पड़ता है। ये शुल्क आपको आपके एप्लीकेशन के स्थिति और पड़ाव के अनुसार भरना पड़ता है। पेटेंट कार्यालय ने अलग अलग पड़ाव के लिए अलग अलग प्रपत्र (फॉर्म्स) जारी किये है।
स्थिति | |||||
सामान्य व्यक्ति(यां) या स्टार्टअप |
अन्य | टिपण्णी | |||
लघु उद्योग | अन्य | ||||
१ | पेटेंट एप्लीकेशन मंजूरी के लिए फॉर्म | १,६०० (ऑनलाइन)
१,७५० (ऑफलाइन) |
४,००० (ऑनलाइन)
४,४०० (ऑफलाइन) |
८,००० (ऑनलाइन)
८,८०० (ऑफलाइन) |
जरूरी |
२ | पेटेंट एप्लीकेशन का परिक्षण करवाना | ४,००० (ऑनलाइन)
४,४०० (ऑफलाइन) |
१०,००० (ऑनलाइन)
११,००० (ऑफलाइन) |
२०,००० (ऑनलाइन)
२२,००० (ऑफलाइन) |
जरूरी |
शुल्क का इससे ज्यादा बड़ा टेबल है,जो आप पेटेंट कार्यालय के वेबसाइट पे देख सकते है (Forms and Fess)।ये मात्र शुल्क का एक हिस्सा है।ये शुल्क आपको इकठ्ठा एक ही समय पे नहीं देना होता है, इसे अदा करने के पड़ाव में कई महीने लग सकते है।
ऊपर के टेबल का मतलब शुल्क के रूप में कुछ ऐसा नजर आता है –
पेटेंट अधिकार प्राप्त करने तक का शुल्क –
- सामान्य व्यक्ति(यां)/स्टार्टअप कंपनी – Rs ५,६०० /- से ६,१५० /-
- लघु उद्योग – Rs १४,००० /- से १५,४०० /-
- अन्य कोई – Rs २८,००० /- से ३०,८०० /-
चरण ५. पेटेंट एप्लीकेशन में कितने क्लैम्स (दावे) और पन्ने है ?
ये हमने ऊपर के ही टेबल में दिखाया है। अगर आप अपने आविष्कार को ३० पन्नो की अंदर नहीं लिख पाए तो अगले हर पन्ने के लिए अलग शुल्क देना है। आधिकारिक दावों को आप १० तक सिमित रखे तो अधिक शुल्क देने से बच सकते है। १० से जयादा हर दावे के लिए अलग शुल्क लगाया गया है। अगर आपका आविष्कार बहुत जटिल हो और आपको ज्यादा अधिकार चाहिये तो अधिक शुल्क देकर जितना चाहे उतने पन्ने लिखे या दावें करे।
स्थिति | |||||
सामान्य व्यक्ति(यां) या स्टार्टअप |
अन्य | टिपण्णी | |||
लघु उद्योग | अन्य | ||||
१ | ३० से ज्यादा हर पन्ने के लिए | १६०/पन्ना (ऑनलाइन )
१८०/पन्ना (ऑफलाइन) |
४००/पन्ना (ऑनलाइन )
४४०/पन्ना (ऑफलाइन) |
८००/पन्ना (ऑनलाइन)
८८०/पन्ना (ऑफलाइन) |
जरूरी |
२ | १० से ज्यादा हर आधिकारिक दावे के लिए | ३२०/दावा (ऑनलाइन )
३५०/दावा (ऑफलाइन) |
८००/दावा (ऑनलाइन )
८८०/दावा (ऑफलाइन) |
१,६००/दावा (ऑनलाइन)
१,७५०/दावा (ऑफलाइन) |
जरूरी |
चरण ६. एप्लीकेशन प्रक्रिया सामान्य या अधिक गतिमान पद्धति से हो ?
हर पेटेंट एप्लीकेशन को पेटेंट कार्यालय में अच्छी तरह से जांचा और परखा जाता है। इसमें वक्त लगता है, क्योंकि हर साल भारत में लगबग ४०,००० – ५०,००० पेटेंट ऍप्लिकेशन्स की जाती है। अगर आप कार्यालय के सामान्य प्रक्रिया से चले तो कई महीने लगते है एप्लीकेशन को प्रकाशित और जाँच करने में। इसे अगर आप इस वक्त में कटौती करना चाहते हो तो उसका अलग शुल्क अदा करके प्रक्रिया को गतिमान कर सकते है।
जल्दी प्रकाशित करना –
निचे टेबल में देखे
स्थिति | |||||
सामान्य व्यक्ति(यां) या स्टार्टअप |
अन्य | टिपण्णी | |||
लघु उद्योग | अन्य | ||||
१ | जल्दी प्रकाशित (पब्लिश) करने के लिए शुल्क | २,५०० (ऑनलाइन )
२,७५० (ऑफलाइन) |
६,२५० (ऑनलाइन)
६,९०० (ऑफलाइन) |
१२,५०० (ऑनलाइन)
१३,७५० (ऑफलाइन) |
ऐच्छिक |
जल्दी से जाँच करवाना –
(ये गतिमान जाँच सुविधा ऑफलाइन एप्लीकेशन करने वाले नहीं पा सकते !!)
- सामान्य व्यक्ति(यां) – नहीं कर सकते
- स्टार्टअप कंपनी –Rs ८००० /-
- लघु उद्योग- Rs २५,००० /-
- अन्य कोई –Rs ६०,००० /-
चरण ७. पेटेंट अधिकार प्राप्त होने के बाद का शुल्क –
आपके पेटेंट अधिकार को सक्रीय रखने के लिए पेटेंट कार्यालय हर साल कुछ शुल्क लेता है। आप २० साल तक ही अपने पेटेंट अधिकार को सक्रीय रख सकते है। पहले कुछ साल ये शुल्क कम होता है और उसके बाद २० साल तक बढ़ता जाता है। ये भी आप पेटेंट कार्यालय की वेबसाइट पर देख सकते है।
- सामान्य व्यक्ति(यां)/स्टार्टअप कंपनी –Rs ८०० /- से ८,८०० /- हर साल
- लघु उद्योग- Rs २,००० /- से २२,००० /- हर साल
- अन्य कोई – Rs ४,००० /- से ४४,००० /- हर साल
नतीजा – कुल पेटेंट का खर्च
- आप खुद ही सब प्रक्रिया करेंगे – Rs ६,००० से ९,००० /-
- आप पेटेंट एजेंट के द्वारा सब प्रक्रिया करेंगे – Rs ११,००० से ४५,००० /-
(जरूरत है तो इसे जोड़ें)
पेटेंट अधिकार को सक्रिय रखने का शुल्क (हर साल)
कुछ उधोगों को पेटेंट का खर्च १,००,००० तक या उससे ज्यादा करना पड़ता है।
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after 18 months one should have to pay fee for publication? [2]examination fee to pay when?is it compulsory how?
After filing complete specification with required fees, you don’t need to pay any fee for publication after 18 months. Examination fee is mandatory, there is a limited period after publication, until which you have to request examination of the application.
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